हौसला रखो
किश्ती हारी नहीं है हौसला रखो
लहरों से टकरा रही हौसला रखो
ज्वार है पानी में तल्ख़ है मिज़ाज
झुकना है नहीं मंज़ूर हौसला रखो
टूट जाते हैं मंसूबे जरा सी हवा से
इरादों को आगे करो हौसला रखो
डा. राजीव “सागरी”
किश्ती हारी नहीं है हौसला रखो
लहरों से टकरा रही हौसला रखो
ज्वार है पानी में तल्ख़ है मिज़ाज
झुकना है नहीं मंज़ूर हौसला रखो
टूट जाते हैं मंसूबे जरा सी हवा से
इरादों को आगे करो हौसला रखो
डा. राजीव “सागरी”