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3 Aug 2024 · 1 min read

हौसला रखो

किश्ती हारी नहीं है हौसला रखो
लहरों से टकरा रही हौसला रखो

ज्वार है पानी में तल्ख़ है मिज़ाज
झुकना है नहीं मंज़ूर हौसला रखो

टूट जाते हैं मंसूबे जरा सी हवा से
इरादों को आगे करो हौसला रखो

डा. राजीव “सागरी”

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