हो साहित्यिक गूँज का, कुछ ऐसा आगाज़
हो साहित्यिक गूँज का, कुछ ऐसा आगाज़
जैसे सुर अरु ताल का, होता इक अंदाज़
होता इक अंदाज, उतर जाता है दिल में
और बढ़ाकर शान, चहकता है महफ़िल में
कहे ‘अर्चना’ बात, मिले आनन्द सात्विक
होता लेखन उच्च, सोच जब हो साहित्यिक
24-11-2022
डॉ अर्चना गुप्ता