हो राम तोसे खरो न कोउ
हो राम! तोसो खरो न कोउ,
तुम राजा मैं छोटो,
मोसो खोटो न कोउ।
हो राम तोसो खरो न कोउ. . .
तुमहिं तारो बारनु ग्राह से
मोपे नजर न कीनो,
प्रभु! मोपे नजर न कीनो
किन्हों अनाकनी मोरे संग
ऐसा दुख न दीनो।
हो राम तोसो खरो न कोउ. . . .
तुम वारिद मोरे रघुराई
मैं अम्बु-कण कोइ,
प्रभु! मैं अम्बु-कण कोइ
पद-रेनु समझो मोहे राघव
मैं शबरी सम होइ।
हो राम तोसो खरो न कोउ. . . .
तुम तारो गीधहिं-से पच्छिन
मैं मृषा जनित मानस,
प्रभु! मैं मृषा जनित मानस
एक ढाबका सह्यो न मोहि
इतना चू जायो अमि रस।
हो राम तोसो खरो न कोउ. . . .
फिरिहूँ बन-बन मारो बनचर
कीतहि रूप पसु-सम,
प्रभु! कीतहि रूप पसु-सम
धरियो चोट ग्यान की मो पै
पा पय-हरि होहिं हिय नम।
हो राम तोसो खरो न कोउ. . .
#सोनू_हंस