हो रही देश में तरक्की …
चल रहा है महंगाई का दौर ,
ना खाने को अन्न ,
ना रहने को मकान ,
मगर हो रही है देश में तरक्की .
हर तरफ है लूटमार ,
हत्या और बलात्कार ,
-न्याय – कानून है लाचार ,
मगर हो रही है देश में तरक्की .
रिश्वत खोरी और काला -बाजारी ,
बईमानी और घोटाले बाज़ी ,
और उस पर सत्ता की रस्साकशी ,
चरमरा गयी शासन व्यवस्था ,
मगर हो रही है देश में तरक्की .
ससुर उठाये बहु का घूँघट,
पिता रखे पुत्री पर बुरी नज़र,
शर्मसार हुए रिश्तों की पवित्रता ,
मगर हो रही है देश में तरक्की .
यह आधुनिक बालाएं ,
यह फ़िल्मी अप्सराएँ ,
हुईं नंगे पन पे मजबूर ,
शर्मो- हया को गयी बिलकुल भूल ,
मगर हो रही है देश में तरक्की .
अगर है यही तरक्की ,तो किस बिना पर?
चाहे झूठी ही सही !
मगर हो रही है देश में तरक्की।