हो नए साल में हाल नया
हो नए साल में हाल नया
लाये खुशियाँ ये साल नया
महलों में जब बल्ब जलें तो,
दिखे झोंपड़ी में भी लाइट.
हर एक हाथ को काम मिले,
न हो काम की कोई फाइट.
सर पर हो तिरपाल नया
लाये खुशियाँ ये साल नया
बैंड बजे भ्रष्टाचारी की,
सड़े तिजोरी में काला धन
कीचड़ में भी खिलें कमल बन,
हो जिन का भी उजला मन
हों नए गीत सुर ताल नया
लाये खुशियाँ ये साल नया
तलवारों की धार कुंद हो,
रहे न कड़वाहट ख़बरों में.
भाईचारे की फसल उगे,
नहीं तनाव रहे नगरों में.
हो पैदा अब न बवाल नया
लाये खुशियाँ ये साल नया
अब विकास की दौड़ तेज हो,
सबसे आगे मेरा वतन हो
उड़ने के’ लिए हर पंछी को,
स्वच्छ और उन्मुक्त गगन हो,
फिर बिछे न कोई जाल नया
लाये खुशियाँ ये साल नया
© बसंत कुमार शर्मा, जबलपुर