हो जाओ तैयार साथियों
पडोसी दुश्मन से युद्ध के समय हमारे देश के एक जवान का अपने साथियों से कथन…
हो जाओ तैयार साथियों…
हो जाओ तैयार साथियों,
समय आ गया अर्पण का।
देख हृदय अब टूट गया है,
मां के दुख से ,दर्पण का।
धैर्य नहीं अंगार लिए मन,
हमको अब आगे बढ़ना।
क्या उसकी औकात बताने,
हमको उस पर है चढ़ना।
विचलित नहीं हमें है होना,
आये नहीं दया का भाव।
रिसे हृदय से उसके हरदम,
दर्द करे बदन का घाव।
गर्जन हो थर-थरकर कांपे,
सुनकर बमवर्षक गोले।
धुँआ-धुँआ हर ओर दिखे,
उठे व्योम जलते शोले।
मिटे समूचा पाप नगर ही,
रहे नहीं दहशतगर्दी।
बहशी, पापी को दिखला दो,
क्या होती खाकी वर्दी।
कहीं शरण पाने ना पाये,
इतना हुंकार मचाओ।
फूट-फूटकर रोये जग से,
और कहे मुझे बचाओ।
ध्यान नहीं इसपे है देना,
करना है हमको प्रहार।
धोखेबाज़ बहुत है घातक,
बंद नहीं शत्रु संहार।
पुनरावृत्ति नहीं है करना,
नजर उठा बैरी ताके।
उसकी दशा बना दो ऐसी,
गलती अपनी वह झांके।
चलो साथियों कदम बढ़ाओ,
चूक नही अब है करना।
चाह रहा जब पातक, सनकी,
खुद ही जल करके मरना।
जय हिंद।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह “राही”
( बस्ती उ. प्र.)