हो गयी आज तो हद यादों की
ग़ज़ल
हो गयी आज तो हद यादों की
होती बरसात न रद यादों की
याद करता हूँ तुझे शिद्दत से
तेरी हिचकी है सनद यादों की
कट रहा हिज्र मज़े से मेरा
ख़ूब आती है रसद यादों की
मकबरा जैसे बदन ये मेरा
और ये दिल है लहद यादों की
एक दूजे का हाथ थामे हुए
यादें करती हैं मदद यादों की
ये तमाज़त का सफ़र जारी ‘अनीस’
छाँव सर पर है सुखद यादों की
– अनीस शाह ‘अनीस ‘