हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
शीर्षक – हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम
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(शेर)- हम गुजर रहे थे इस राह से, चोट पत्थर की लगी तो तुम याद आये।
हम आ गए मिलने तुमसे, शायद मलहम हमारे मरहम पर लग जाये।।
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हो गए दूर क्यों, अब हमसे तुम।
जबकि तुम्हारे पास, आये हैं हम।।
दूर नहीं हमसे, तुम जावो।
आवो करीब, तुम आवो।।
हो गए दूर क्यों——————–।।
पहले क्यों हमको, दीवाना किया।
क्यों दिल हमारा, मस्ताना किया।।
उठी जब लहर, प्यार की दिल में।
अंजान क्यों दिल से, हो गए तुम।।
दूर नहीं हमसे, तुम जावो।
आवो करीब, तुम आवो।।
हो गए दूर क्यों——————-।।
जलवे जवानी के , बताती हो क्यों हमें।
राहों में ऐसे क्यों, भटकाती हो हमें।।
आयी समझ में जब, मोहब्बत की नजीर।
छुपकर पर्दे में क्यों, बैठ गए तुम।।
दूर नहीं हमसे, तुम जावो।
आवो करीब, तुम आवो।।
हो गए दूर क्यों——————।।
क्या कभी नहीं धड़का, दिल यह तुम्हारा।
क्या कभी नहीं मचला, मन यह तुम्हारा।।
कोई ख्वाब तो होगा, तुम्हारा भी।
बताते नहीं क्यों, हमको वह तुम।।
दूर नहीं हमसे, तुम जावो।
आवो करीब, तुम आवो।।
हो गए दूर क्यों——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)