हो गई है
जवानी से शिकायत हो गई है
अभी तुम से मुहब्बत हो गई है
लबों को क्यों न भायें आज कोई
मुझे तू छूँ सके लत हो गई है
सुबकने क्यों लगी है आँख तेरी
इसे किसकी इजाजत हो गई है
नजर से जब नजर मेरी मिली जब
गजल कह दूँ यहीं चाहत हो गई
गये है जब हमें वो छोड़ कर के
निगाहों की मुझे लत हो गई है
हमेशा के लिए मत छोड़ के जा
कहूँ सच बादशाहत हो गई है