होली…
ये बस नहीं कि फ़क़त रंग उड़ाया जाता है
गुलाल चेहरों पे सबके लगाया जाता है
मंगा के भांग को पत्थर पे घोंटते हैं हम
नशे में झूम के तारों को नोचते हैं हम
गली गली में जिहालत की होड़ लगती है
गली गली में लफंगों की दौड़ लगती है
बचा के खुद को निकलना मुहाल होता है
के रंग खून का सड़कों पे लाल होता है
जो शादमा थे वो नाशाद होते जाते हैं
गुनाहगार भी आज़ाद होते जाते हैं…….
वो एक वाक़या शायद इन्हें पता ही नहीं
जब एक बच्चे पे पहरे बिठा रहे थे सब
कि एक सच को भी झूठा बता रहे थे सब
तब एक बच्चे के सच्चे यक़ीन की खातिर
उन्हें भी आना पाड़ा अपने आप से बाहिर
जो रुख हवाओं का ऐसे भी मोड़ सकते थे
पहाड़ दूसरे लम्हे में तोड़ सकते थे
उस एक बच्चे के मासूम आंसुओं के लिए
समंदरों को तो यूँ ही निचोड़ सकते
वो बंद दुनिया की पल में जुबान कर देते
ज़मी पलट के यहाँ आसमान कर देते…..
चलो हटाओ के ये लोग जानते ही नहीं
ये बात इश्क़ के मुर्शिद की मानते ही नहीं …
यूँ अबके बार बुराई जलायेंगे मिलकर
नयी उमंग की होली मनायेंगे मिलकर
दुआ करो के हमारा यूँ भाईचारा हो
हरेक शख्स हमें जान से भी प्यारा हो
किसी चौराहे पे अब न किसी का झंडा हों
कि सबसे पहले यहाँ देश का तिरंगा हो
तमाम बुग़ज़ो हसद छोड़ दें किनारे पर
कोई रहे न किसी और के सहारे पर
चलें तो हाथ में लेकर सभी का हाथ बढ़ें
के साथ साथ चलें और साथ साथ बढ़ें……
यही है अजया आदित्या अजीत की होली
यही है अचला अनादिह पुनीत की होली
यही है योगी योगांधार निहाल की होली
यही है अनया चतुर्भुज गोपाल की होली
यही है कृष्ण की श्रीवत्सु केशु की होली
यही है मुरली मनोहर विवेषु की होली
यही है देवकीनंदन जयंत की होली
यही है मुरली मनोहर अनंत की होली…….
~Aadarsh Dubey