होली
हाथों में अबीर-गुलाल और रंग
निकले हैं घर से साथियों के संग
भांग खाकर कुछ झुमने लगें हैं
मन में पड़े गांठ खुलने लगे हैं
पुवा,पकोड़े,गुझिया और मिठाई
हुरदंग मचाए हैं सब पीकर ठंडाई
सफेद कुर्ता और टोपी लगाकर
गा रहें सब होली ढोल बजाकर
रंग में बड़े,बूढ़े,बच्चे नहाए हुए
एक- दूसरे को गले लगाये हुए
सब का जीवन रंगों से भर जाए
इन्ही रंगों में जीवन गुजर जाए।
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला कुशीनगर