होली
छः ऋतुओं का देश हमारा, खुशियों में तल्लीन रहे,
होली सा रंगीन रहे।
नई चेतना हो हर दिल में, और गौरव प्राचीन रहे,
होली सा रंगीन रहे।
होली है त्यौहार पुराने, शिकवे-गिले भुलाने का,
जिनसे दूरी बनी हुई है, उन्हें पास ले आने का।
सबका दिल हो ख़ूब प्रफुल्लित, न कोई ग़मगीन रहे,
होली सा रंगीन रहे।
अगर जलाना ही है अपने, दुर्गुण सभी जलायें हम,
नये सद्गुणों को धारण कर, जीवन स्वर्ग बनायें हम।
हो स्वतन्त्र पर सबका जीवन, सद्गुणों के आधीन रहे,
होली सा रंगीन रहे।
पीकर के शराब के प्याले, कोई न हुड़दंग करे,
कोई हो मदहोश किसी की, मर्यादा न भंग करे।
पावन पर्व हमारा है यह, पावन और शालीन रहे,
होली सा रंगीन रहे।
रँगों से धुलकर पावन हो, जीवन सारा जन-जन का,
होली के अवसर पर सारा, दूर प्रदूषण हो मन का,
नहीं किसी का भी जीवन यह, संस्कार से हीन रहे।
होली सा रंगीन रहे।
रँग उड़ाओ ऐसे जिनसे, प्रेम की गंगा बह जाये,
बेशक सारे रँग हों फ़ीके, किन्तु तिरंगा रह जाये।
“रोहित” सबके ही हृदयों पे, भारत माँ आसीन रहे,
होली सा रंगीन रहे।।
✍️ रोहित आर्य