होली
होली
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( १)
आओ मिलके होली मनाए,
ग़म भुलाकर सबको गले लगाए।
रंगो की टोली,मस्ती भरी यह होली।
राधा संग मोहन,मचाई दिल की हमजोली।
(२)
फागुन का यह त्योहार,
खेले धूम धड़ाका मस्ती में यार।
भौवरे गुनगुनाते,झूमते फूलों की डार,
खुशबू महके जहान में, प्रेम मिले अपार।
(३)
रंग बिरंगी तितलियां,
उड़ती मचलती करती मस्तियां।
नैन मट्टका करती,प्रेमदिवानी लड़कियां,
होली की रंग में डूबी,मदहोश होती दिवानियां।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
8120587822