*होली-होली (बाल कविता)*
होली-होली (बाल कविता)
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रंग खेलने खरगोशों की
निकली जिस दिन टोली
जंगल में तब लगे जानवर
कहने होली – होली
सब ने ढेरों रंग उछाला
हरा बैंजनी पीला
सबका तन सबने पाया
रंगों से गहरे गीला
चढ़ा रंग खरगोशों पर
पाया खुद को अब कालू
जिस पर रंग न चढ़ पाया
वह बढ़िया सबसे भालू
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451