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8 Mar 2022 · 1 min read

*होली-होली (बाल कविता)*

होली-होली (बाल कविता)
■■■■■■■■■■■■■■
रंग खेलने खरगोशों की
निकली जिस दिन टोली
जंगल में तब लगे जानवर
कहने होली – होली

सब ने ढेरों रंग उछाला
हरा बैंजनी पीला
सबका तन सबने पाया
रंगों से गहरे गीला

चढ़ा रंग खरगोशों पर
पाया खुद को अब कालू
जिस पर रंग न चढ़ पाया
वह बढ़िया सबसे भालू
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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