होली बाल कविता
~ होली बाल कविता ~
चुन्नू लाया लाल गुलाल
मुन्नू के रंग दिए गाल ।
मुनियाँ देखो दौड़ रही है
गुब्बारे वह फोड़ रही है ।
पिचकारी भर लाई रानी
फिसल गई फिर बूढ़ी नानी ।
राधा लाई गुझियाँ ढेर
बच्चे करने निकले सेर ।
पप्पू गुड्डी रंग गये सारे
आज जमी पर उतरे तारे ।
हुर्रे हुर्रे मच गया शौर
होली का है सब पर जोर ।
चाचा झटपट झटपट भागे
कुर्ते पर कोई दाग न लागे ।
डुबो दिया मोती को हौज
आज हो रही सबकी मौज ।
चकली गुझियाँ प्यारे-प्यारे
व्यंजन देखो कितने सारे ।
टिन्नी को मिली भांग की गोली
चढ़ गई उसको होली होली ।
डॉ. किरण पांचाल (अंकनी)