होली पर दोहे
होली पर दोहे
सुन्दर गालों पर मला ,प्रिय ने बिहसि गुलाल ।
पके टमाटर से हुए , चटक गुलाबी गाल।।01
महलों में रसरंग संग , होली के हुड़दंग ।
इधर झोपड़ी मौन हो , पीती पीड़ा भंग । 02
होली दीवाली सदा , उठता एक सवाल ।
होरी के घर ही दिखे , परचित एक अकाल।। 03
फागुन के रंग देखकर मन में खिला पलास।
गोरी की मस्ती निरख , सतरंगी आकाश ।। 04
टेसू फूले डाल पर , सरसों फूली खेत ।
देख फ़ाग के रंग सब , मन फिसले ज्यों रेत।।05