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28 Sep 2021 · 1 min read

होली ———- चहुँदिश फैली चहल-पहल है

होली
———-
चहुँदिश फैली चहल-पहल है
आनेवाली है होली।
मन की मस्ती,तन में गश्ती
लगा रही है रंगोली।
इन्द्रधनुष सी रंगी जा रही
गोरी की अंगिया, चोली।
मौसम युवा,जवानी ऋतु की
बाँट रहा है भर झोली।
बिना वजह अंगड़ाई तन में
नहीं लगाती है बोली।
फूलों के मुख रक्तिम-रक्तिम
गात में फैली है होली।
सबके अधरों पर गुम्फित है
फाग सुहाना मधुर अति।
रंग,रंगोली के रथ चढ़कर
होली लाये प्रीत सखि!
सुंदर स्मृति सम्बन्धों के
लेकर आये यह होली।
सुंदर हार्दिक संदेशों को
देकर जाये यह होली।
पर्वों में अति पावन होली
जीवन में पावनता लाये।
जीवन के सूखे कुण्डों में
जीवन-रस भरता जाये।
सिद्धि कर्मों में भर जाये
मन्त्रों के आवाहन का।
सारे स्याह मिटा जाये यह
जीव,जगत का जीवन का।
स्वर्णसिद्ध हमको कर जाये
हमको दे जाये उल्लास।
होली के अणु,परमाणु में
जीवन ही होवे अहसास।
————————————–

Language: Hindi
Tag: गीत
150 Views
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