***होली के हुलारे रंग***
होली के हुलारे रंग, बरसेगें अंग-अंग,
उल्लास के संग अरु प्रीति के आनन्द में,
हर्ष की वेला में बरसे जब लाल रंग,
लोगन के मुख को मिलाओ वानर संग में,
पत्ती रंग बिखेरे हरियाली को नयो ढंग,
हरो-भरो जीवन सिखाए जन-जन में,
पीलो रंग खेले गेहूँ संग जंग-जंग,
सिखाए नयो रंग तपो हर क्षण-क्षण में,
‘अभिषेक’ की जीविहा बात कहे खरी-खरी,
व्यर्थ, मोह, माया त्यागि, मन रंगो राम रंग में॥1॥
**अभिषेक पाराशर**