होली के रंग, हुरियारों के संग।
1- मोहन ने मीरा की रंग दी चुनरिया
रंग से सराबोर मन की नगरिया
न लागे से छूटें न हों रंग फीके
मुझे प्रेम के रंग रंग दे संवरिया।।
2- रंग की उमंग, अंग अंग में अनंग
और ऊपर से भंग, तेरे अच्छे नहीं ढंग
रव का है वास्ता, काहे रोके रास्ता
अभी लाके पक्के रंग तुझे कर दूँगी तंग
3-कैसे करेगी तू तंग मैं तो चाहूँ तेरा संग
मुझे लगते बेरंग तेरे विन सब रंग
ओरे झूठे बड़े, भंग तुझपे चढ़े
ये है भंग की तरंग, कल उतरेगी चंग
खेल होली के ये रंग, रंगे हुरियारों संग।