*होली के दिन घर गया, भालू के खरगोश (हास्य कुंडलिया)*
होली के दिन घर गया, भालू के खरगोश (हास्य कुंडलिया)
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होली के दिन घर गया, भालू के खरगोश
देखा होली खेलते, भालू को मदहोश
भालू को मदहोश, जलाशय रंग भरा था
सब भालू-परिवार, जलाशय में उतरा था
कहते रवि कविराय, देख भालू की होली
चिल्लाया खरगोश, खेलना मुझे न होली
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451