होली का हुड़दंग
होली का हुड़दंग दिलों पर छाया है
रंगों का त्यौहार सुहाना आया है
काले पीले रंग पुते हैं चेहरे पर
देख हमीं को डरा हमारा साया है
कड़वी बातें सभी पुरानी भूल गए
गुझिया का मीठापन मन को भाया है
लदी बौर से महकी अमवा की डाली
गीत कोकिला ने आ मधुर सुनाया है
सभी रँगो के युग्म सुनाकर होली के
समां रँगीला सबने आज बनाया है
बैठा टेसू आज सभी के सर चढ़कर
रँग गुलाल अपने ऊपर इतराया है
भूल सको यदि बैर ‘अर्चना’ होली में
तब समझो त्यौहार समझ ये आया है
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद (उ प्र)