होली का मिलन
घर से आए हम दवा गोली का बोलकर,
खेंलेंगे होली तुम्हारे संग दिल खोलकर,
रंग दो मेरे बदन पर रंग प्यारा-प्यारा,
सुखा हो या पानी में घोल-घोल कर।
मेरी जान पिचकारी तुम्हारी लगे प्यारी-प्यारी,
दूर-दूर से न दिखाओ पिचकारी,
जो पसंद हो वो रंग भर लो,
मैं रंग दू तुम्हारी चुनरिया सारी।
तुमसे दूर होकर वक्त नहीं गुजरता हमारा,
होली का मिलन है प्यारा-प्यारा,
पाँच दिन के त्यौहार में पाँचों दिन,
मैं बदन रंगता रहूं तुम्हारा।।
अनिल”अबीर” इंदौर(मध्यप्रदेश)