*होली का त्यौहार (बाल कविता)*
होली का त्यौहार (बाल कविता)
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हाथी दादा चल पड़े
होली का त्यौहार
रंग भरी थी सूँड ज्यों
पिचकारी की धार
चलते-चलते राह
सामने चूहा आया
रँगा-पुता था मगर
सूँड से था घबराया
बोला दादा रहम
न रँग खेला जाएगा
सूँड चली तो कहर
सुनामी का आएगा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 5451