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16 Mar 2019 · 1 min read

होलियाँ

धरती पहने सतरंगी खेल रही है होलियां
भिन्न भिन्न हैँ रूप यहां पर भिन्न भिन्न हैँ बोलियां

कोई मुख पर रंग लपेटे बन्दर बना हुआ है
कोई गोबर माटी में ऊपर से सना हुआ है

कोई बेघर लाचारों की जला रहा है खोलियाँ
धरती पहने………………………………………

लगता है सब मिल करके ऊँच नींच तज डालेंगे
अपने अपने हृदयों में सद्भाव भाव फिर पालेंगे

कुछ लेकर के आड़ किसी की चला रहे हैँ गोलियां
धरती पहने…………………………………………

भीगा भीगा तन सारा है मन भी रंगा रंगा सा
कोई शान्त नज़र आता है कोई ठगा ठगा सा

दामन रंग बिरंगे हैँ सब रंगीं रंगीं हैँ चोलियां
धरती पहने………………………………………..

मीठे मीठे पकवानों से क्या मन मीठा हो सकता है
मन में समरसता के बिन तो जग रीता हो सकता है

नहीं चलेगा काम दोस्तों बना बना कर टोलियां
धरती पहने…………………………………………

नरेन्द्र मगन, कासगंज
9411999468

Language: Hindi
Tag: गीत
329 Views

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