*होलिका दहन*
होलिका दहन
होलिका दहन करो बुरी प्रवृत्ति मार कर।
धर्म का वकील बन अधर्म को नकार कर।।
दर्प मद अहं जले धरा शरीर निर्मला।
कालिमा मिटे सदैव भक्ति भाव उज्ज्वला।।
शोध सत्य पुण्य काम पाप को विनष्ट कर।
साध्य शिव शिवत्व हो कुभाव को नकार कर।।
पूजनीय देव वृत्ति त्याज्य दैत्य दोष हो।
कामना अनंत नाम विष्णु शब्द कोश हो।।
जीव ब्रह्म एकता बनी रहे सदा यहां।
होलिका जला करे मरा करे सदा यहां।।
द्वेषवृत्तिनाशिनी विचारणा अमर रहे।
प्रेम भाव धारणा सदा बनी अजर रहे।।
काम क्रोध मोह भोग का दहन सदा करो।
योग क्षेम धर्म कर्म का वहन सदा करो।।
दर्शनीय मित्रता सुसाधुता बनी रहे।
आत्म रुप शोभनीय मुक्तबोधिनी रहे।।
रोम टेढ़ हो नहीं कभी सुसत्य गेह का।
नाश हो अनिष्ट हो सदैव होलि देह का।।
साहित्यकार डॉक्टर रामबली मिश्र वाराणसी।