होलिका दहन एक कुप्रथा
होलिका बुरी थी
तो पूजन क्यों ?
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कहीं ???
प्रह्लाद का बचाव.
पुरुष-प्रधान समाज की नींव तो नहीं !
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सभी स्त्रियों की मानसिकता को ध्वस्त कर , उन्हीं में उल्हास , अजीब घटना है
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पुरुषों के द्वारा मिलकर
एक नारी के प्रति इतने पतित भाव,
समाज में इख्तियार करना.
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सचमुच आपसी सद्भाव भाईचारा बिगाडने की कुप्रथा का स्वीकार अचंभित करनेवाला है.
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ये घटनाएं समाज में आज अभिभूत हो रही है, तो जिम्मेदार कौन ???
इसमें राधेय कृष्ण की मिलावट.
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अंध-आस्था/विश्वास/कुप्रथा/परंपरा/
इंसान के आधारभूत विचारधारा को
बल से विराम .. देने का नाम.. पे उत्सव पर्व को स्थापित किया गया है.
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मुझे कुछ नहीं कहना.
आपका हिंदुत्व तुम्हें मुबारक,
जो मनुष्य की मूलभूत आधार को ध्वस्त करें.
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जिसकी जीव जीवन पानी अग्नि पृथ्वी पशु और खेती में आस्था न हो.
वे सब आत्मघाती हैं.