होलिका की अग्नि में
रोग, शोक, तमस वृत्ति
सबका कर आह्वाहन
मिलकर सब दह डालो
होलिका की अग्नि में।
कुवृत्तियों की होलिका के
गोद जो प्रहलाद मन
आनन्द से सराबोर हो
सुवृत्तियों की सृष्टि में।
शोक से संतप्त मन
श्वेत से जो हो रहे ।
उड़ेल दो खुशियों के रंग
फागुन रंग वृष्टि में ।
वेदना के गीत सब
फाग में अब ढाल दो ।
सब समय की गति परख
समय से एकताल हों ।