होना सभी का हिसाब है।
जिंदगियां बड़ी उदास है।
सोने को बस फुटपाथ है।।1।।
जीने में ना कोई आस है।
दिलों में दर्द बेहिसाब है।।2।।
यहां दुखों का अम्बार है।
दिलों से ना कोई शाद है।।3।।
उजड़ी सारी बस्तियां है।
यूं रहने को ना मकान है।।4।।
किसकी कल्बे तमन्ना है।
ये हर शू कैसा फसाद है।।5।।
बता दो ये कातिलों को।
होना सभी का हिसाब है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ