होना, न होना, एक है l
होना, न होना, एक है l
अब इरादे, ना नेक है ll
गम की गजब गर्मी है l
गम जीवन, रहा सेक है ll
दिशा ओ दशा अलग अलग l
वो कैसे एकमेक है ll
सोच समझ ओ महनत है l
होते रस्ते अनेक है ll
लालच लोभी लाय पाय l
कहाँ कह सके सम्यक है ll
भीख ले, कैसा भिखारी l
बस कहे कहे कितेक है ll
बस द्वेषों भरी प्यास है l
समझ खत्म अब विवेक है ll
होना, न होना, एक है l
अब इरादे, ना नेक है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न