होता कहाँ?
होता कहाँ?
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प्रेम पथ पर
चलना काँटों का ताज
पहनने से कहाँ कम है?
प्रेम पथ पर
कदम दर कदम आगे बढ़ने का
सबमें कहाँ दम है?
हैं बहुत दुश्वारियां इस राह में
मगर प्रेम के सच्चे पथिक
पथ भ्रष्ट होते हैं कहाँ?
प्रेम पथ पर जो चला
अवरोध से लड़ता बढ़ा,
है बहुत विश्वास खुद पर
हौसला था साथ फिर भी,
हर प्रेम पथ मंजिल दिखाये
ऐसा भी मुमकिन कहाँ?
प्रेम पथिकों ने बढ़ाये
फूंक फूंक कर हर कदम,
हर प्रेम पथिक मंजिल को पहुँचे
ऐसा भी होता कहाँ?
?सुधीर श्रीवास्तव