होठों पर नाम आ गया
***होठो पर नाम आ गया***
**** 222 222 1212 ****
********* गजल *********
होठों पर तेरा नाम आ गया,
मिलने का है पैगाम आ गया।
दिल मेरा तेरे बिन उदास था,
हाथों में मय का जाम आ गया।
हो कर आतुर मैं पास जब गया,
जाते ही उसको काम आ गया।
दर दर की खाई ठोकरे सदा,
राहों में भी नाकाम आ गया।
बातों पर हो उसको यकीं गया,
जीवन में आड़े ताम आ गया।
जो भी सोचूँ वो हो न ही स्का,
लगता है उल्टा याम आ गया।
मनसीरत मन को मारता रहा,
धोखेबाजों का झाम आ गया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)