होगी विजय हमारी
अहंकार के हाथी की हम, कभी न करें सवारी।
विनम्रता के ब्रह्म-अस्त्र से, होगी विजय हमारी।।
उदारता की राह पर चलें, बोलें मीठी वाणी।
प्रणति निवेदन करें बड़ों को, वर देगी कल्याणी।।
भोजन सात्विक करें कि जिससे, दूर रहे बीमारी।
विनम्रता के ब्रह्म-अस्त्र से, होगी विजय हमारी।।
देने से सम्मान मिलेगा, पाना भले न चाहें।
हरदम अपने सदाचरण से, उर-अम्बुधि अवगाहें।।
यत्न सफलता की कुंजी है, कहती दुनिया सारी।
विनम्रता के ब्रह्म-अस्त्र से, होगी विजय हमारी।।
उपवन सी अपनी काया के, बने रहें हम माली।
श्रम करने से कभी न घटती, है चेहरे की लाली।।
पूजा इव ही श्रम करने की, सदा रखें तैयारी।
विनम्रता के ब्रह्म-अस्त्र से, होगी विजय हमारी।।
क्षमाशीलता के सद्गुण के, बने रहें विश्वासी।
क्षमाशील को परमपिता से, गति मिलती अविनाशी।।
क्षमा वीरता का प्रतीक है, मत मानें लाचारी।
विनम्रता के ब्रह्म-अस्त्र से, होगी विजय हमारी।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी