होगा मटियामेट
जिसदिन बिस्तर रूह ने, अपना लिया समेट !
उस दिन बँगला देह का, ….होगा मटियामेट !!
विद्या का खिलता नहीं, बिन गुरु कभी न फूल !
वृक्ष बढेगा किस तरह, …….सींचे बिन ही मूल !!
रमेश शर्मा
जिसदिन बिस्तर रूह ने, अपना लिया समेट !
उस दिन बँगला देह का, ….होगा मटियामेट !!
विद्या का खिलता नहीं, बिन गुरु कभी न फूल !
वृक्ष बढेगा किस तरह, …….सींचे बिन ही मूल !!
रमेश शर्मा