होके रहेगा इंक़लाब
कब तक करेंगे हम फ़रियाद
आख़िर होके रहेगा इंकलाब…
(१)
चाहे जितना इंतजाम कर लो
बचने का कोई सामान कर लो
लेकिन पूरी हो चुकी लगभग
तुम्हारी तानाशाही की मियाद…
(२)
कितनों को जेल में डालोगे
कितनों पर लाठी चलाओगे
आख़िरी आदमी तक चलेगा
ज़ुल्मत के ख़िलाफ़ एहतिजाज़…
(३)
यह जलसा देखो मज़लूमों का
यह नारा सुनो महरुमों का
इसका अंज़ाम कैसा होगा
तुम सोचो अगर ऐसा आगाज़…
(४)
यही झोंका कल तूफ़ान बनेगा
यही कतरा कल उफ़ान बनेगा
ऐसे हरगिज़ नहीं दबने वाली
मेहनतकश जनता की आवाज़…
(५)
यह तुम्हारा पुराना इंद्रलोक
बस होने ही वाला ज़मींदोज़
एक नए दौर की आहट से
अब हिलने लगी इसकी बुनियाद…
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Shekhar Chandra Mitra
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