*हों गया है प्यार जब से , होश में हम है नहीं*
हों गया है प्यार जब से , होश में हम है नहीं
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हो गया है प्यार जब से,होश में हम है नहीं।
आ गले लग जा कसम से,जोश भी कम है नहीं।
हो रही बारिश चमन में,चैन मन का खो गया,
कर सके दो चार बातें , बोल में दम है नहीं।
है बड़ी मुश्किल घड़ी ये,राह भी दिखती नहीं।
घुट रहा दम भी गले में ,मौत का गम है नहीं।
रोज का ही हाल ऐसा , राज सीने में दफ़न
दरमियाँ दरिया दुखों का, मौज भी कम हैँ नहीं।
खोल कर कैसे बतायें , हाल ए दिल रो रहा,
आ रहे आँसू नयन से , आँख भी नम हैँ नहीं।
बात मनसीरत सुनाये , गौर से सुन लो जरा,
रात काली सिर चढ़ी है, ख़ास भी तम है नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)