होंठ तुम्हारा नाम !
आखिर आ ही है गया, उनका आज पयाम !
ढूढ़ रहे थे इश्क में, हम जो रोज मुकाम !!
बेसब्री से था हमे, उनका ये इंतज़ार !
थाम रखा तो आ गया,आज सब्र वो काम !!
जब चाहा तब कब मिला, रहे ताकते हाथ !
आज लबों के पास खुद, चलकर आये जाम !!
यहां छुपाकर कब छिपे ,दिल के गहरे राज !
बिना कहे ही ले रहे, होंठ तुम्हारा नाम !!
—सौरभ