होंगे कामयाब…
कब तक डरना हैं,
कब तक लड़ना हैं,
कैसा समय यह आया,
द्वार द्वार कोरोना लाया,
सबको यही चिंता खाए,
कब यह रोग अब जाए,
फिर से खुशहाली आए,
सब गीत खुशी के गाए,
टूट चुकी देश की सीमाएं,
धर्म जाति भी रोक न पाए,
फिर क्यों भ्रम पाल रखा,
फिर क्यों इतने स्वार्थी हुए,
हम मानव हैं यही सत्य हैं,
क्यों ऊँच नीच हमारे तथ्य हैं,
बीमारी कुछ नही देखती,
फिर क्यों हमारे ऐसे कृत्य हैं,
आँखे अब खोल लीजिए,
प्रेम स्नेह सबसे अपनाइए,
स्वार्थ ईर्ष्या को तजकर,
मिलकर इसका सामना कीजिए,
अब बीमारी से नहीं डरना,
हमको मिलकर साथ लड़ना,
होंगे हम सब कामयाब,
घर घर से भागेगा कोरोना,