है शिव ही शक्ति,शक्ति ही शिव है
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#काव्यस्थली_साहित्यक_मं
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है शिव ही शक्ति,शक्ति ही शिव है।
शक्ति से ही शिव है,शक्ति बिन शव है।
शिव कृपालु से यह सृष्टि महकती है।
कंकर में शंकर की माया दमकती है।
हमें अपने भोले की,हस्ति पर गर्व है।
तप,जप और हठ पे तेरा अधिकार है।
सब तुझ से है संभव तेरे इख़्तियार है।
तेरे जाप मृत्युंजय,मुक्ति का उत्सव है।
तुम अर्धनारीश्वर,एक नर दूसरा नारी।
माया अद्भुत है,क्या जानें हम संसारी।
मन में! संचित स्वाति सुधा का द्रव है।
वही उद्भव,नरत्व,ममत्व का महत्व है।
इनसे ही जुड़ा ,नारी का अस्तित्व है।
हरसू तेरा नूर है,उस जोति का भव है।
लोचन मोचन विमोचन सबल तुम हो।
कांति चमक दामिनी…सकल तुम हो।
तेरे मंत्र,यंत्र,तंत्र, उत्पत्ति का वैभव है।
है शिव ही शक्ति,शक्ति ही शिव है।
शक्ति से ही शिव है,शक्ति बिन शव है।
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सुधीर कुमार
सरहिंद फतेहगढ़ साहिब पंजाब।