है मुहब्बत बड़ी बेकार सी चीज
है मुहब्बत बड़ी बेकार सी चीज
नज़र को जचता है कोई
और दिल जिद कर के कर आती है
चोरी चोरी आंखों के रस्ते यार का घर
दिल दिल के तंग गली में बनाती हैं
इस कमबख्त दिल के बन्द हुजरे में जाना
आने के सौ रस्ते हैं पर जाने पे पहरेदार बिठाती है
~ सिद्धार्थ