है मुहब्बत का उनकी असर आज भी
है मुहब्बत का उनकी असर आज भी
चैन है लूटती वो नज़र आज भी
देखते जब भी हैं तेरी तस्वीर हम
आँख आती है हर बार भर आज भी
ज़िन्दगी पर उदासी की परतें तो हैं
मुस्कुराता है लेकिन बशर आज भी
हो गये हैं भले ही मकां अब महल
पर नहीं बन सके हैं ये घर आज भी
लोग भी वो नहीं, वक़्त भी वो नहीं
पर वही है पुरानी डगर आज भी
बेहुनर राहे-मंज़िल पे हैं गामज़न,
घूमता दरबदर है हुनर आज भी
हम हैं हैरान सच देखकर “अर्चना”
तल्ख़ यादों के हैं हमसफ़र आज भी
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21-11-2022
डॉ अर्चना गुप्ता