है नारी तुम महान , त्याग की तुम मूरत
है नारी तुम महान , त्याग की तुम मूरत
धन नही, वैभव नही , तुम्हें चाहिए सम्मान
धैर्य , संयम , कि तुम परिभाषा
उपजित शब्द तुमसे हि बलिदान
है नारी तुम महान ।
खुदा की बनाई तुम जादूगरी
तुम ही ग्रहणी , तुम ही रूप ममता
तुम ही जीवन , संग , साथी
रूप तुम्हारे अनगिनत
मानव जाति कि तुम ही पहचान
है नारी तुम महान ।
तुम पर ही नियम लागू
ईस प्रकृति , घर , संसार कै
तुम बिन व्यर्थ फिर भी यह जहान
है नारी तुम महान ।
कैसे करूं तुम्हें मैं , परिभाषित
तुमसे ही प्रारंभ , नीव इस जग की
तुम ही कुल , तुम ही मर्यादा
तुमसे ही उपजित, वेदों का ज्ञान
है नारी तुम महान , तुम महान , तुम महान ।।