है नहीं मुश्किल ज़रा तुम प्यार कर देखो।
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है नहीं मुश्किल ज़रा तुम प्यार कर देखो।
जीत कर भी प्यार में तुम हार कर देखो।
हो भरा मन में अहं तो प्रेम कैसे हो,
यार तुम अपने अहं को मार कर देखो।
फूल तो प्यारे सभी को चाहते हैं सब,
शूल को भी तुम मगर स्वीकार कर देखो।
हो फँसे मझधार में तो सोचते हो क्या,
साहसों को तुम यहाँ पतवार कर देखो।
त्याग दो मन के कलुष नव चेतना जागे,
प्रेम रत्नों से कभी श्रृंगार कर देखो।
शांत ज्वाला हो हृदय की दूर हो बाधा,
चेतना नव ज्ञान का संचार कर देखो।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली