है दुख में जनता…{मत्तगयंद सवैया छंद}
है दुख में जनता…{मत्तगयंद सवैया छंद}
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है दुख में जनता वह जान रहा दुख से अनजान बना है,
तुच्छ हुए हम देकर वोट कि लेकर आज महान बना है,
क्यों जितना छल जो करता जग में उतना गुणवान बना है?
झूठ हजार परोस रहा पर भारत में भगवान बना है।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 31/05/2020