है दर्द सभी का एक—सा…..
इस दुनिया में कोई रोया,
क्यों पीर सभी की एक—सी,
क्यों दर्द सभी का एक—सा…..
प्यार में टूटा दिल किसी का
क्यों हीर सभी की एक—सी,
क्यों दर्द सभी का एक—सा…..
भाग मेरा हाय रे फूटा
तू जो रूठा, रब रूठा
कोई मुझे न और प्यारा,
साथ तेरा हाय रे छूटा
खोया जिसने भी साथी,
तक़दीर सभी की एक—सी
क्यों दर्द सभी का एक—सा…..
मुझको खुदसे यार गिला
साथ मिला ना प्यार मिला
है रब से यही शिकायत,
जीवन क्यों बेकार मिला
चोट लगी अश्क़ बहाये,
क्यों पीर सभी की एक—सी,
क्यों दर्द सभी का एक—सा…..
मजनू को लैला न मिली
और फरहाद को शीरी
कहते कहते क्यों डूबे,
वो महिवाल, वो सोहनी
क्यों राँझा जोगी बना है,
क्यों हीर सभी की एक—सी,
क्यों दर्द सभी का एक—सा…..