हैसियत
पिछले दिनों
मैने, इस ब्रह्मांड में
हमारी हैसियत क्या है?
इस पर एक रचना लिखा था।
जो पढ़
नही पाये हो, कृपया
पिछली पोस्टिंग देखे,अपनी
सोच व आँख को खुली रखे।
आज के
अखबार को देखे
बृहस्पति से बड़े ग्रह
को विनष्ट होते हुए सुने।
इस पर
भी यदि अभिमान
अगर जाग्रत है उनका
कोई कुछ उनका कर नही सकता।
युद्ध को
लालायित देश
यह निरापद जान ले
युद्ध व बुद्ध में से एक चुन लें।
हमारी
चेतनाओं से बने
इस संसार मे चेतनाएं
ही बस निरापद रह पाएगी।
चेतनाओं
के पुंज हम सभी
ब्रह्म से निकल पुनः
ब्रह्म में विलीन हम सभी।
निर्मेष
काहे का अभिमान
काहे की राजनीति है
बस चिरंतन आपसी प्रीति है।
निर्मेष