हैरानी
अगर हो सके तो “आशुतोष’ ,
सब्र कि उंगली पकड़ इस कदर चलो , रास्ते हैरान हो।
वफ़ा की गिरेबान पकड़ इस कदर चलो , मोहब्बत हैरान हो ।
आशा के पंख पकड़ इस कदर चलो , मुश्किलें हैरान हो ।
अगर हो सके तो “आशुतोष’ ,
सब्र कि उंगली पकड़ इस कदर चलो , रास्ते हैरान हो।
वफ़ा की गिरेबान पकड़ इस कदर चलो , मोहब्बत हैरान हो ।
आशा के पंख पकड़ इस कदर चलो , मुश्किलें हैरान हो ।