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8 Mar 2019 · 1 min read

हे स्त्री, तुम हो महान…

आदित्य द ग्रेट “आदि”

हे स्त्री, तुम हो महान।
तुमसे है यह श्रष्टि,
तुमसे है शक्ति का ज्ञान।
क्या लिखूं मैं, क्या कहूँ?
कैसे करूँ मैं,
मेरे तुच्छ शब्दों में तेरा बखान।
हे स्त्री, तुम हो महान।

माँ हो तुम, तुम बेटी हो,
तुम हो बहन,
हो तुम किसी के बहू समान।
रखती हो तुम ख़्याल सभी का,
तुमसे बढ़ता घर का मान।
हे स्त्री, तुम हो महान।

आँख तेरे छलकते रहते,
होंठ सदा ही हँसते रहते,
छुट्टी की तुझे फ़िकर नहीं है,
नहीं मिलता तुमको वेतनमान।
फ़िर क्यों सहती हो इतने अपमान?
हे स्त्री, तुम हो महान।

अबला नहीं आज की नारी है,
इनकी हर चीज़ में हिस्सेदारी है,
जो उन्हें समझते हैं,
उनके लिए वो बहुत प्यारी है,
अत्याचारों के इरादों पर,
पड़ती अब वो भारी है।
रावण हो या हो कौरव,
अब ये नहीं सहेगी किसी का अपमान
जो नहीं करेगा इनका सम्मान,
हर लेगी वो उसके प्राण।
हे स्त्री, तुम हो महान।

-आदित्य कर्ण
दरभंगा, बिहार (मिथिलांचल)

Language: Hindi
668 Views
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