हे शारदे मां ! साहित्य सृजन का वरदान दे ।( मां सरस्वती पूजन विशेष )
ना मुझे संपत्ति चाहिए ,
और न ही लोकप्रियता का अरमान ।
मुझे चाहिए हे मां शारदे !
तुमसे यह वरदान ।
मेरी कलम से निकली हुई हर रचना,
राष्ट्र प्रेम का गुणगान करे ।
मेरे देश के वीरों का सम्मान करे ।
मेरे किसान भाइयों का हौंसला बढ़ाए ,
मेरे देश के भटकी हुई युवा पीढ़ी को सन्मार्ग दिखाए ,
हर निर्धन ,बेबस और दुखी इंसान के आंसू पोंछे ,
किसी की सफलता और खुशी में मुस्कराए ।
और रूखे और पत्थर दिलों में प्रेम की गंगा बहाए ,
इतना सब कर सके मेरी लेखनी ,
तो खुद को धन्य समझूं ,
और ईश्वर का गुणगान करे ,
तेरा गुणगान करे प्रतिक्षण ,
जिसने यह सृजन क्षमता मेरे मन मस्तिष्क ,
में बसाई है ।
तो इस सम्पूर्ण जीवन को धन्य समझूं ।
मैं कुछ भी नही ,
सब कुछ तुम हो ।
मेरी कलम में ,
मेरी वाणी में ,
मेरी सृजन शीलता में तुम हो ।
तो मुझे यह वरदान दो ।
जिस उद्देश्य से ,
जिस पवित्र मंतव्य से ,
तुमने यह कला मुझे प्रदान की ,
उसका वास्तविक ध्येय पूर्ण हो ।
और इसी जन्म में ही नही ,
हर जन्म में यह कला ,
तेरे आशीर्वाद स्वरूप में मेरे साथ हो ।
मुझे यह वरदान दे हे शारदे मां !
मुझे साहित्य सृजन का वरदान दे ।