हे शारदे माँ…
हे शारदे माँ
हे शारदे माँ
माता के जैसा
हमैं प्यार दे माँ
हम हैं अकेले
इस ब्रह्माण्ड में
अज्ञानता के इस
जंजाल में
हमको उबारो
अज्ञानता से तारो
आँचल में अपने
हमको स्थान दो माँ ।
हे शारदे माँ
हे शारदे माँ….
तू सर्वव्यापी
निराकार माता
आँखों में
बस जा होकर
साकार माता ।
तू नूर है माँ
इस ब्रह्माण्ड की
प्रकृति में फैले
इस ज्ञान की
ज्ञान की ज्योति
हममें जगा माँ ।
हे शारदे माँ
हे शारदे माँ…
प्रकृति में फैला
हर रंग तेरा
घाटी-सरोवर में
हर रूप तेरा
कण कण में
माता तू ही समाई
तेरी दया की
ना कोई सीमा
हे शारदे माँ
हे शारदे माँ….
हर राग में
संगीत तेरा
प्रकृति में बजता
हर गीत तेरा
नफरत मिटा माँ
हर भेद मिटा माँ
दिलों में सबके
प्रेम संगीत बजा माँ ।
हे शारदे माँ
हे शारदे माँ…..।।
प्रशांत सोलंकी
नई दिल्ली-07