हे वीणापाणि !
हे वीणापाणि ! हे माता !
हे बुद्धि ज्ञान की , निर्झरणी।
हे परमेश्वरी , हे ज्ञान निधि ,
हे हंस वाहिनी, तमहरणी ।
हे विद्या रूपणि , कमलाक्षी ,
हे पुस्तक धारिणि, अति उदार ।
हे महादेवी ! हे श्वेतांबरा,
खंडित कर , तम का महाभार ।
हर प्राण प्रदीपित हो जाए ,
घर घर शिक्षा का, हो प्रकाश ।
सबके उर में , विश्वास पले ,
हो अंधकार का , महा नाश।
संस्कार रहेंं पोषित प्रतिपल ,
होवे चरित्र , निर्मल पुनीत ,
बस एक धर्म , मानवता का ,
कर्तव्यों का , यज्ञोपवीत ।
हर एक बालिका तुम सी हो ,
हर बालक गुण की खान रहे ।
हे मातु शारदे सरस्वती ,
हर उर मेंं तेरा मान रहे ।
तेरे सम्मुख करबद्ध खड़े ,
सब पर तेरा आशीष रहे ।
हर जीवन को उत्कर्ष मिले ,
तेरे चरणों में शीश रहे ।
इंदु पाराशर